Friday, November 16, 2012

दादी गुल्जार जी के संग दीपावली मनाने का समाचार तथा बापदादा केआने की खुशखबरी

दादी गुल्जार जी के संग दीपावली मनाने का समाचार तथा बापदादा केआने की खुशखबरीओम् शान्ति 15-11-12 मधुबन प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा के अति लाडले, सदा परमात्म स्नेह में समाये हुए,सदा अपनी जगमगाती हुई ज्योति से सर्व की ज्योति जगाने वाले,संगमयुगी सर्वश्रेष्ठ आत्मायें निमित्त विश्व सेवाधारी टीचर्स बहिनें तथा सर्वब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,आज अहमदाबाद से दादी गुल्जार जी के साथ लोटस हाउस के सर्व भाई बहिनों की विशेषईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद वा दीपावली तथा नयेवर्ष के पावन पर्व की शुभ बधाईयां स्वीकार करना जी।बाद समाचार - आज दीपावली के पावन पर्व पर सर्व ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनोंको यह बताते हुए अति हर्ष हो रहा है कि हम सबकी अति स्नेहीदादी गुल्जार जी इस दीपावली पर पहली बार लोटस हाउस के ऑडोटोरियमहाल में स्टेजपर पहुंची। हमारी मीठी नीलू बहन बहुत प्यार से दादी जीको तैयार करके स्टेज पर लेकर आई, जहाँ पर सरला दीदी ने दादी जी को सुगन्धितफूल मालाओं का हार पहनाकर स्वागतकिया फिर शब्दों के द्वारा,नृत्य के द्वारा दादी जी का स्वागत किया गया। फिर बापदादा कोभोग स्वीकारकराया गया। सरला दीदी, डाक्टर बनारसी भाई ने सभी को दीपावलीकी शुभ कामनायें दी। लोटस हाउस की टीचर्स बहिनों ने दादी जी को श्री लक्ष्मीकी तरह खूब सजाया, फिर दीप प्रज्वलन के बाद केक काटा गया।उसके पश्चात दादी जी ने मधुर महावाक्य उच्चारण करते हुए कहा की अभी आप सभी ने दीपमाला मनाई, दीपमाला मनाते हुए क्या याद आया? हमारा दीपराजबाप। बाप के साथ दीपमाला मनाने से सभी दीपक कितनेजगमगा रहे हैं। सभी के दिल से एक ही आवाज निकल रहा है कि
मेरा बाबा,मीठाबाबा,प्यारा बाबा...
क्योंकि बाबाने इतना हमको लायक समझाजो विश्व की अनेक आत्माओं के बीच पहले हमें पसन्द कर लिया। जिसको भगवान पसन्दकर ले उसको और क्या चाहिए। हम सब कौन सा गीतगाते हैं? जो पाना था वो पा लिया। भगवान के साथ ये दिन मनाना.. वाह मेराभाग्य! वाह मेरा भगवान! भगवान और भाग्य दोनों याद आने सेकितनी खुशी होती है। हमारे मोहल्ले में और भी हैं लेकिन भगवान को हम ही पसन्दआये क्यों? आप सभी पसन्द आ गये ना! कांध हिलाओ...हाँ भगवान को जो पसन्द आ गये उन्हें और क्या चाहिए! आप सबका भाग्य है ना!भाग्य ही आज आपको यहाँ लाया है।देखो, बाबा के इस रूद्र यज्ञ की स्थापना का दिन भी दीपावली है। आज 75 वर्षसमाप्त हो रहे हैं। कभी यह सोचा ही नहीं था कि इतना वर्ष हमको यहसुहावने दिन देखने हैं। लेकिन वाह बाबा वाह! जो हमें ये भाग्य भी देखने कोमिला, हम यह खुशियों भरा दिन कितने वर्षो से मना रहे हैं! तो 75 वर्षनिर्विघ्न समाप्त होने की आप सबको पदमगुणा बधाई हो, बधाई हो।हमें याद आता है हम बचपन में 9 वर्ष की आयु में बाबा के पास आई। उस समय बाबाने एक राजयोग का आध्यात्मिक बोर्डिंग खोला था, उसमेंबाबा ने हमको बुलाया और बाबा के दो शब्द हमको सदा ा ही याद आते हैं।जब अमृतवेलाहोता है तो वह सीन सामने आ जाती है। बाबा हमें रोज़एक सुन्दर बगीचे में ले चलता था और हमको दो टाइटल देता था - 1) खुशकिस्मतबच्चे और 2) खुशमिजाज़ बच्चे। बाबा को हमारा आफीशियलरूप अच्छा नहीं लगता था। बाबा बच्चों को सदा हंसते खेलते और खुशकिस्मत दिखाईदेवें। बाबा हमेशा यही वरदान देते थे तो सारा दिन हमारा ऐसेही बीतता था, जैसे दिन नहीं लेकिन कुछ और बीता है। तो आज संस्था की स्थापना कादिन भी यही है, तो आप सबको पदमगुणामुबारक हो।बापदादा की तरफ से मुबारक हो। नये युग की यह दीपमाला मनाना कितना बढ़िया लग रहाहै और अभी हमारा वह नया युग आया कि आया।वह बहुत सुन्दर राजधानी है, अभी है योग तपस्या का युग फिर आयेगा राज्य करने कायुग। तो सबको पदम, पदम, पदमगुणा मुबारक है, मुबारक है।कल 14 तारीख को दादी जी ने सभी के साथ नया वर्ष भी मनाया और इस शुभ दिन परलोटस हाउस में केक काटते हुए सभी को नये साल की शुभकामनायें दी और विशेष यह दिन भारत में ''बाल दिवस'' के रूप में मनाते हैं, तोइस अवसर पर उपस्थित सभी छोटे बच्चों को दादी जी ने बहुतस्नेह भरी दृष्टि देते हुए केक खिलाई। विशेष नये वर्ष के दिन पर दादी जी ने छतपर सैर करते समय आसपास की सजी हुईबिल्डिंग का भीअवलोकन किया। साथ में सभी भाई बहिनों के साथ फुलझड़ियां जलाते हुए नया सालमनाया।सभी भाई बहिनों को यह खुशखबरी देते हुए हमें अति हर्ष हो रहा हैकि मीठी गुल्जार दादी जी अपना सुस्वास्थ्य अच्छी तरह से प्राप्त करके जल्दीसे जल्दी अहमदाबाद से वापिस प्यारे बापदादा के घर मधुबन शान्तिवन प्रस्थानकरेंगी। फिर तो 30 नवम्बर 2012 को हम सभी विधिवत बापदादाके संग मधुर मिलन मनाते, वरदानों से अपनी झोली भरेंगे।बापदादा की विशेष मदद के साथ-साथ आप सर्व सेवाकेन्द्र के भाई बहिनों कीशुभेच्छा, दुआयें और योग का सहयोगमिला, विशेष तो हमारी मीठीदादी जानकी जी मधुबन से बीच-बीच में दादी जी से मिलने अहमदाबाद आती रही और रोज़फोन द्वारा समाचार लेते, मीठी रूहरिहान करते अपनेस्नेह की सकाश देती रहीं। लोटस की भारती बहन, सुख-शान्ति की नेहाबहन ने भीपूरा ही समय साथ निभाया, नीलू बहन के साथ 7-8 भाई बहिनोंका पूरा ग्रुप दादी जी के साथ था।हमारे डाक्टर्स ने भी दादी जी का पूरा ध्यानरखते हुए बहुत-बहुत सहयोग दिया। सबको बधाईयां।अच्छा - सर्व को बहुत-बहुत स्नेह भरी याद के साथ...ईश्वरीय सेवा में,बी.के. निर्वैर

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