Friday, December 14, 2012

Murli 14.12.12

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - इस पढ़ाई मेंआवाज की आवश्यकता नहीं - यहाँ तो बाप ने एक ही मन्त्र दिया है कि बच्चे चुप रहकर मुझे याद करो'' प्रश्न:- जिन बच्चों को ईश्वरीय नशा रहता है उनकी निशानी क्या होगी? उत्तर:- ईश्वरीय नशे में रहने वाले बच्चों की चलन बड़ी रॉयल होगी। 2. मुख से बहुत कमबोलेंगे। 3- उनके मुख से सदैव रत्न ही निकलेंगे। वैसे भी रॉयल मनुष्य बहुत थोड़ा बोलते हैं। तुम तो ईश्वरीय सन्तान हो, तुम्हें रॉयल्टी में रहना है।धारणा के लिए मुख्य सार:-1) अपने को सदा रिफ्रेश रखना है। मुख से रत्न ही निकालने हैं। कभी उदासी आदि आये तो बाबा के बनवाये हुए गीत सुनने हैं। 2) देही-अभिमानी बनने की प्रैक्टिस करनी है। याद में रह खाद निकालने का पुरुषार्थ करना है।वरदान:- ज्ञान खजाने द्वारा मुक्ति-जीवनमुक्ति का अनुभव करनेवाले सर्व बंधनमुक्त भव ज्ञान रत्नों का खजाना सबसे श्रेष्ठ खजाना है, इस खजाने द्वारा इस समय ही मुक्ति-जीवनमुक्ति की अनुभूति कर सकते हो। ज्ञानी तू आत्मा वह है जो दु:खऔर अशान्ति के सब कारण समाप्त कर, अनेकानेक बन्धनों की रस्सियों कोकाटकर मुक्ति वा जीवनमुक्ति का अनुभव करे। अनेक व्यर्थ संकल्पोंसे, विकल्पों से और विकर्मो से सदा मुक्त रहना-यही मुक्त और जीवनमुक्त अवस्था है। स्लोगन:- विश्व परिवर्तक वह है जो अपनी शक्तिशाली वृत्तियों से वायुमण्डल को परिवर्तन कर दे।

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