Thursday, September 6, 2012
MURLI 05.09.12
>06-09-12 Hindi
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - रूहानी बाप ने यह रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा है, इस यज्ञ के रक्षक तुम ब्राह्मण हो, तुम गायन लायक बनते हो, लेकिन अपनी पूजा नहीं करा सकते हो''
प्रश्न: तुम बच्चों में जब ज्ञान की पराकाष्ठा हो जायेगी, तो उस समय की स्थिति क्या होगी?
उत्तर: उस समय तुम्हारी स्थिति अचल, अडोल होगी। किसी भी प्रकार के माया के तूफान हिला नहीं सकेंगे। तुम्हारी कर्मातीत अवस्था हो जायेगी। अभी तक ज्ञान की पूरी पराकाष्ठा न होने के कारणमाया के तूफान, स्वप्न आदि आते हैं। यह युद्ध का मैदान है, नई-नई आशायें प्रगट हो जायेंगी। परन्तुतुम्हें इनसे डरना नहीं है। बाप से श्रीमत ले आगे बढ़ते रहना है।
गीत:- तुम्हें पाके हमने जहाँ ...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) मुरली रोज़ जरूर पढ़नी है। माया के तूफानों से डरना नहीं है। किसीभी प्रकार के धोखे से बचने के लिए श्रीमत लेते रहना है।
2) पढ़ाई और योग दोनों इकट्ठा हैं इसलिए पढ़ाने वाले बाप को याद करना है। निश्चय बुद्धि बनना और बनाना है। बाप का ही परिचय सबको देना है।
वरदान: कर्म और योग के बैलेन्स द्वारा सर्व की ब्लैसिंग प्राप्तकरने वाले सहज सफलतामूर्त भव
कर्म में योग और योग में कर्म - ऐसा कर्मयोगी अर्थात् श्रेष्ठ स्मृति, श्रेष्ठ स्थिति और श्रेष्ठ वायुमण्डल बनाने वाला सर्व की दुआओं का अधिकारी बन जाताहै। कर्म और योग के बैलेन्स से हर कर्म में बाप द्वारा ब्लैसिंग तो मिलती ही है लेकिन जिसके भी संबंध-सम्पर्क में आते हैं उनसे भी दुआयें मिलती हैं, सब उसे अच्छा मानते हैं, यह अच्छा मानना ही दुआयें हैं। तो जहाँ दुआयें हैं वहाँ सहयोग है और यह दुआयें व सहयोग ही सफलतामूर्त बना देता है।
स्लोगन: सदा खुश रहना और खुशियों का खजाना बांटते रहना यही सच्ची सेवा है।
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