Saturday, November 17, 2012
Murli 17.11.12
'मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप जो सदा सुख देते हैं, रोज़ पढ़ाते हैं, ज्ञान खजाना देते हैं, ऐसे बाप को तुम भूलो मत, श्रीमत पर सदा चलते रहो
प्रश्न:- बाप की जादूगरी कौन सी है जो मनुष्य नहींकर सकते हैं? उत्तर:- कांटों के इस जंगल को बदलकर सुन्दर फूलोंका बगीचा बना देना, पतित मनुष्योंको पावन देवता बना देना - यह जादूगरी बाप की है। किसी मनुष्य की नहीं। बाप ही सबसे बड़ा सोशल वर्कर है जो पतित शरीर, पतित दुनिया में आकर सारी पतित दुनिया को पावन बनाते हैं। गीत:- बचपन के दिन भुला न देना...धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) किसी भी प्रकार की गफ़लत नहीं करनी है। एक दो को सावधान कर, बाप की याद दिलाएउन्नति को पाना है। अपने ईश्वरीय बचपन को भूलना नहीं है। 2) मात-पिता को फालो करते रहना है। माया के तूफानों से डरना नहीं है।अमृतवेले बाप की याद में बैठकर सुख का अनुभव करना है। वरदान: श्रेष्ठ कर्म द्वारा दुआओं का स्टॉक जमा करने वाले चैतन्य दर्शनीय मूर्त भव जो भी कर्म करो उसमें दुआयें लो और दुआयें दो। श्रेष्ठ कर्म करने से सबकी दुआयें स्वत: मिलती हैं। सबके मुखसे निकलता है कि यह तो बहुत अच्छे हैं। वाह! उनके कर्म ही यादगार बन जाते हैं। भल कोई भी काम करो लेकिन खुशी लो और खुशी दो, दुआयें लो, दुआयें दो। जब अभी संगम पर दुआयें लेंगे और देंगे तब आपके जड़ चित्रों द्वारा भी दुआ मिलती रहेगी और वर्तमान में भी चैतन्य दर्शनीय मूर्त बन जायेंगे।
स्लोगन:- सदा उमंग-उल्लास में रहो तो आलस्य खत्म हो जायेगा।
सम्पुर्ण मुरलि
पीडीएफ मुरलि
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